कभी अकेली नहीं होती मैं,
हमेशा भीड़ साथ होती है.
बात चीत हो न हो,
हमेशा शोर साथ रहता है.
बाहर की आवाज़ बंद कर भी दूं,
तो अन्दर का शोर घेर लेता है.
मज़ाक हो भी रहा हो,
बातें ज्यादा लगती हैं,
एक बार खुल के हँस भी दूं,
तो हँसी के ठहाको में कुछ कमी सी छुपती है.
अपने ही साथ हो कर भी,
कुछ अलग सी हो जाती हूँ.
भीड़ में कभी तनहा,
तो कभी तन्हाई की भीड़ में, मैं गुम हो जाती हूँ.
OMG!! such deep meanings.. kya baat hai yaar.. proud f u buddy.. but i hop u understood al tht u wrote :) grt gng.. kp it up.. cheers!!
ReplyDeletehey thank u saurabh...
ReplyDeleteand yes i obviously understand each word.. infact felt each word n then made it a poem..
:)
Hey,was reading ur blog. Glad that you still write :). Loved those hindi poems.
ReplyDeleteHey tanuj,
ReplyDeleteSorry for the extremely delayed reply...
n m so very very glad to know that u liked my writings..
Also, the hindi ones are my favorites too... :))