Sunday, March 18, 2012

Mujhe pata hai...


बचा है अभी भी मुझमे, पर कहीं ग़ुम सा हो चुका है ,
पर वापस मैं ही ढूंढ कर लाऊँगी , ये भी मुझे पता है . 

हर ख़ामोशी की एक वजह है ,
लेकिन दब जाती है आवाज़ , छुप जाते है एहसास ,
पर वापस मैं ही लल्कारुंगी , ये भी मुझे पता है .  

हर ग़म और ख़ुशी घर कर जाती है ,
लेकिन हंसी और आंसू कहीं अन्दर ही रह जाते हैं,
पर वापस मैं ही खिल्खिलौंगी , ये भी मुझे पता है . 

रोज़ एक निर्णय, रोज़ एक निष्कर्ष,
लेकिन उनपर अमल करना, बाकी रह जाता है,
पर वापस मैं ही उन्हें पूरा करुँगी , ये भी मुझे पता है .   

है कई सपने आँखों मैं,
पर नींद के साथ ओझल हो जाते हैं ,
आज के फैसले, कल की बात बन जाते हैं, 
लेकिन अपनी ज़िन्दगी के लिए मैं ही हु ज़िम्मेदार,
और वापस मैं ही इसे सुधारुंगी, ये भी मुझे पता है!